डिजिटल ट्रांसफॉरमेशन की प्रक्रिया में साथ हैं भारतीय भाषाएँ
आज तकनीकी दुनिया में जिन सर्वाधिक महत्वपूर्ण प्रक्रियाओं का जिक्र होता है, उनमें से एक है डिजिटल ट्रांसफॉरमेशन या तकनीकी कायाकल्प। दुनिया भर के सरकारी तथा निजी संस्थान इस प्रक्रिया को अपनाकर न सिर्फ बेहतर परिणाम प्राप्त कर रहे हैं बल्कि अपने खर्च भी घटा रहे हैं और कामकाज के ढाँचे को ज्यादा कार्यकुशल व सुसंगठित बना रहे हैं। माइक्रोसॉफ्ट की दृष्टि में, तकनीकी कायाकल्प की यह प्रक्रिया एक समावेशी प्रक्रिया है जिसका उद्देश्य तकनीकी नवोन्मेष के लाभों को हर संगठन तथा हर व्यक्ति तक पहुँचाना है। इस संदर्भ में हमारे लिए भारतीय भाषाओं की भूमिका न सिर्फ महत्वपूर्ण, बल्कि असंदिग्ध है। तकनीकी रूपांतरण की कोई भी प्रक्रिया तभी सार्थक तथा समावेशी हो सकती है जब वह भाषायी, सांस्कृतिक तथा व्यक्तिगत विविधताओं के साथ तालमेल बिठाए। भारतीय भाषाओं को साथ लिए बिना ‘डिजिटल ट्रांसफॉरमेशन’ की प्रक्रिया अपने वास्तविक उद्देश्य को हासिल नहीं कर सकती, और वह वास्तविक उद्देश्य है- निजी, कारोबारी तथा प्रशासनिक प्रक्रियाओं को सरल, सुगम, सुसंगठित, तेज और कार्यकुशल बनाना। साथ ही साथ उत्पादकता, गुणवत्ता, लाभप्रदता और किफायत को सुनिश्चित करते हुए डिजिटल-कार्य-संस्कृति को प्रोत्साहित करना।
डिजिटल ट्रांसफॉरमेशन की प्रक्रिया में भारतीय भाषाओं की प्रभावी भागीदारी तभी संभव है जब सभी प्रासंगिक तकनीकों में इन भाषाओं के प्रति मजबूत समर्थन मौजूद हो। माइक्रोसॉफ्ट, जो कि सबको अधिक हासिल करने में सक्षम बनाने के मिशन को साथ लेकर चलता है, अपनी तकनीकों, उत्पादों तथा सेवाओं तक सबकी पहुँच सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। हमारे उत्पादों में डिजाइन के स्तर पर ही इस तथ्य को ध्यान में रखा जाता है कि उनका प्रयोग विविधतापूर्ण परिस्थितियों में, विविध उपयोक्ताओं द्वारा किया जाएगा तथा हमें सुनिश्चित करना होगा कि ये उत्पाद हर उपयोक्ता की ज़रूरतों को पूरा करने में सक्षम हों। स्थानीय भाषाएँ इस संदर्भ में एक महत्वपूर्ण पहलू हैं। जब मूलभूत उत्पादों, जैसे- विंडोज़ ऑपरेटिंग सिस्टम, ऑफ़िस अनुप्रयोगों तथा एज़्योर जैसी रूपांतरकारी क्लाउड तकनीकों में भारतीय भाषाओं के लिए पर्याप्त समर्थन समर्थन उपलब्ध हो जाता है तो वह डिजिटल कायाकल्प की प्रक्रिया में इन भाषाओं की सहभागिता को सुनिश्चित करता है। माइक्रोसॉफ्ट की प्राथमिकता है कि कोई भी उपभोक्ता सिर्फ इसलिए आधुनिक तकनीकों के लाभ उठाने से वंचित न रहे कि वह अंग्रेज़ी नहीं बल्कि किसी अन्य भाषा में अधिक प्रवीण है। सिद्धांदतः तकनीक का लाभ उठाने के लिए किसी को दूसरी भाषा सीखने की ज़रूरत नहीं होनी चाहिए।
माइक्रोसॉफ्ट में, हम सिर्फ यूनिकोड, भाषायी फॉन्ट जैसे बुनियादी तकनीकी समर्थन की बात नहीं करते। हम कन्टेन्ट (विषय वस्तु) के उपभोग, निर्माण और संचार जैसी आम हो चुकी प्रक्रियाओं से भी कुछ कदम आगे बढ़ने की बात करते हैं। हम चाहते हैं कि भारतीय भाषाओं के उपयोक्ता उन सभी आधुनिकतम अनुप्रयोगों का इस्तेमाल कर सकें जिनका प्रयोग विकसित देशों की भाषाओं में किया जाता है। वे पीसी से लेकर मोबाइल तथा ऑफलाइन से लेकर ऑनलाइन तक उत्पादकता प्राप्त कर सकें। इतना ही नहीं, वे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और एनालिटिक्स जैसी आधुनिक तकनीकों से भी लाभान्वित हो सकें तथा विजुअल स्टूडियो, माइक्रोसॉफ्ट डेवलपर नेटवर्क, डेटाबेस आदि का प्रयोग करते हुए भारतीय भाषाओं में सॉफ्टवेयर, मोबाइल एप्लीकेशनों, वेब सेवाओं आदि का विकास कर सकें। सन 2000 में भारतीय भाषाओं में यूनिकोड आधारित समर्थन की शुरूआत करने वाले माइक्रोसॉफ्ट का इन भाषाओं के साथ काम करने का लंबा इतिहास रहा है और उसके उत्पादों में भारतीय संविधान में मान्यता प्राप्त 22 भाषाओं के लिए किसी न किसी स्तर पर मौजूद है। अहम बात यह है कि हम वहीं पर रुक नहीं गए हैं बल्कि हमने इन भाषाओं को नवीनतम तथा आधुनिक अनुप्रयोगों के विकास की प्रक्रिया में शामिल किया है।
ऐसा करना बहुत महत्वपूर्ण है खासकर ऐसे समय पर जबकि भारत सरकार डिजिटल सेवाओं को जन-जन तक पहुँचाने की मुहिम में जुटी है। केंद्र सरकार के ‘डिजिटल इंडिया’ कार्यक्रम के नौ स्तंभों में से अनेक के साथ भारतीय भाषाओं का अटूट संबंध है, जैसे- सबके लिए सूचना, ई-प्रशासन, ई-क्रांति और रोजगार के लिए सूचना प्रौद्योगिकी। देश ‘ज्ञान प्रधान समाज’ तथा ‘ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था’ की दिशा में आगे बढ़ रहा है और इस प्रक्रिया में ऐसी तकनीकें अहम हो जाती हैं जो आम नागरिक को तकनीकी रूपांतरण की प्रक्रिया के साथ जोड़े। दूसरी तरफ मोबाइल तथा इंटरनेट-पहुँच के क्षेत्र में हुई तरक्की के चलते आम नागरिक तकनीकी माध्यमों के अधिक करीब आया है। सस्ते डेटा प्लानों की उपलब्धता ने कन्टेन्ट के उपभोग तथा डिजिटल सहभागिता को बढ़ावा दिया है। स्पष्ट है कि देश में तकनीकी सुविधाओं के प्रसार की दृष्टि से यह अनुकूल समय है। यहाँ भारतीय भाषाओं की विशिष्ट, दोहरी भूमिका है। ये भाषाएँ एक तरफ तो तकनीकी नवोन्मेष तथा समावेशीकरण की मांग उत्पन्न कर रही हैं तथा दूसरी तरफ वे नए उपभोक्ताओं को भी आगे ला रही हैं। यानी मांग भी, सप्लाई भी। तकनीकी और भाषाओं के अंतरसंबंधों के विकास की दृष्टि से यह एक उत्कृष्ट समय है।
आइए, दस जनवरी को विश्व हिंदी दिवस के मौके पर भारतीय भाषाओं के संदर्भ में, माइक्रोसॉफ्ट के नए तथा महत्वपूर्ण उत्पादों पर एक नजर डालते हैं। इन सभी में कृत्रिम बुदधिमत्ता (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) की महत्वपूर्ण भूमिका है।
डिक्टेशन माइक्रोसॉफ्ट का गैराज प्रोजेक्ट है जो 29 से अधिक भाषाओं में बोलकर टाइप करने की सुविधा देता है। हाल ही में माइक्रोसॉफ्ट ने इसमें हिंदी के लिए समर्थन उपलब्ध कराया है। यह माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस एड-इन है जिसमें दूसरे स्पीच टू टेक्स्ट सिस्टम की तुलना में इसमें कई विशेषताएँ हैं, जैसे- विराम चिह्न, पैरा, डिलीट आदि के लिए कंप्यूटर को दिशानिर्देश देने की क्षमता। विराम चिह्नों के लिए मैनुअल और स्वचालित दोनों प्रकार की कमांड देने की सुविधा है। डिक्टेशन की एक बड़ी विशेषता है किसी एक भाषा में बोलकर दूसरी भाषा में पाठ प्राप्त करना। अर्थात् ध्वनि से पाठ में रूपांतरण तथा उस पाठ का 60 से अधिक दूसरी भाषाओं में अनुवाद। इसका अर्थ यह हुआ कि आप हिंदी में बोलकर अंग्रेजी सहित 60 से अधिक भाषाओं में लेख लिख सकते हैं।
प्रेजेन्टेशन ट्रांसलेटर
प्रेजेन्टेशन ट्रांसलेटर एक ही क्लिक में किसी एक भाषा की पावरप्वाइंट प्रस्तुतियों को दूसरी भाषा में अनूदित करने की सुविधा देता है। इतना ही नहीं, वह अन्य भाषाएँ बोलने वाले प्रयोक्ताओं को यह सुविधा देता है कि वे पावरप्वाइंट प्रस्तुतकर्ता द्वारा बोले जा रहे वाक्यों को अपनी पसंदीदा भाषा में पढ़ सकें। दस वैश्विक भाषाओं में बोलने वाले प्रेजेन्टर अपनी बोली हुई बातों को हिंदी सहित 60 से अधिक भाषाओं में तब्दील कर सकते हैं। इससे यह संभव हो गया है कि यदि कोई हिंदी भाषी व्यक्ति किसी फ्रेंच भाषी की पावरप्वाइंट प्रेजेन्टेशन देख रहा है तो वह उसकी बातों को हिंदी में पढ़ सके। ऐसा संभव होता है कैप्शनों के जरिए, जो प्रेजेन्टेशन ट्रांसलेटर को सक्रिय किए जाने पर अपने आप तैयार होते रहते हैं। यह बधिरता की समस्या से प्रभावित लोगों के लिए भी बहुत उपयोगी है।
स्काइप में वाक् से पाठ परिवर्तन
स्काइप वीडियो काल के दौरान दूसरे छोर पर मौजूद व्यक्ति आपकी बातों को अपनी भाषा में सुनने की सुविधा का लाभ उठा सकता है। यानी एक भाषा में बोली गई बातें दूसरे छोर पर मौजूद व्यक्ति को उसकी अपनी भाषा में सुनने को मिलती हैं। जैसे एक तरफ फ्रेंच और दूसरी तरफ जर्मन। स्काइप में हिंदी के लिए फिलहाल टेक्स्ट आधारित समर्थन मौजूद है। अर्थात् कोई व्यक्ति अगर फ्रेंच में बोल रहा है तो आप उसकी बातों को हिंदी में पढ़ सकते हैं। इसकी सेटिंग बहुत आसान है। जिस व्यक्ति से बातचीत चल रही हो, उसके ‘अवतार’ के चित्र पर राइट क्लिक करके ट्रांसलेट विकल्प का इस्तेमाल करें। स्काइप में ट्रांसलेटर मैसेंजर भी मौजूद है जो कि आईएम में संवाद को तुरंत ही अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद कर देता है।
वाक् से वाक् अनुवाद
वाक् से वाक् अनुवाद एक जटिल प्रक्रिया है जो मोटे तौर पर तीन चरणों में संपन्न होती है- पहले चरण में बोले हुए शब्दों का लिखित पाठ में रूपांतरण, दूसरे चरण में इस लिखित पाठ का दूसरी भाषा में अनुवाद और तीसरे चरण में उस अनूदित पाठ का ध्वनि में रूपांतरण। स्काइप में वाक् से वाक् अनुवाद के दायरे में फिलहाल भारतीय भाषाएँ नहीं आतीं लेकिन आप चाहें तो माइक्रोसॉफ्ट ट्रांसलेटर पर इस सुविधा का लाभ उठा सकते हैं। यह विंडोज़ एप्प के रूप में तो उपलब्ध है ही, मोबाइल एप्प के रूप में एंड्रोइड तथा आईओएस उपकरणों पर भी उपलब्ध है। उदाहरण के तौर पर दिल्ली आया कोई विदेशी सैलानी अंग्रेजी, फ्रेंच, रूसी आदि में बोलकर उसे हिंदी में बदल सकता है। ट्रांसलेटर उसकी बातों का उच्चारण हिंदी भाषा में करके सुनाता है।
चित्र के भीतर पाठ की पहचान और अनुवाद
माइक्रोसॉफ्ट ट्रांसलेटर सैलानियों के लिए खास तौर पर उपयोगी है क्योंकि वह किसी दूसरी भाषा में दिए गए साइनबोर्ड, बिल बोर्ड, सड़कों के संकेत चिह्नों आदि के चित्र खींचने और फिर उन संकेत चिह्नों का हिंदी में अनुवाद करने में सक्षम है। कोई भारतीय सैलानी अगर मास्को जाता है तो वह न सिर्फ वहाँ इधर-उधर लिखी इबारतों को हिंदी में अनुवाद करके पढ़ सकता है बल्कि पत्रिकाओं, अखबारों, हवाई यात्रा टिकट आदि की सामग्री को भी अनूदित करके समझ सकता है।
पूर्वानुमान आधारित (प्रीडिक्टिव) कीबोर्ड इनपुट
‘स्विफ्ट की’ माइक्रोसॉफ्ट का मोबाइल कीबोर्ड एप्प है जो एंड्रोइड तथा आईओएस आधारित मोबाइल उपकरणों के लिए उपलब्ध है। इसमें प्रमुख भाषाओं के साथ-साथ मारवाड़ी जैसी बोलियों के लिए भी समर्थन मौजूद है जो कुल मिलाकर 24 भारतीय भाषाओं तथा बोलियों में मोबाइल स्क्रीन पर टाइप करना संभव बनाता है। ‘स्विफ्ट की’ में आप स्क्रीन पर उंगली फिराकर (स्वाइप करके) टाइप कर सकते हैं, यानी आपको हर बटन पर उंगली दबाने की ज़रूरत नहीं है। अहम बात यह है कि यह कृत्रिम बुद्धिमत्ता का प्रयोग करते हुए आपको आगे आने वाले शब्दों के सुझाव भी देता है जिससे टाइपिंग की गति और शुद्धता दोनों बढ़ जाते हैं। यह आपके कामकाज में आने वाले शब्दों और वाक्यों के आधार पर खुद को लगातार बेहतर बनाता रहता है।
नैरेटर में हिंदी पाठ से ध्वनि
माइक्रोसॉफ्ट का नैरेटर टूल, जो कि एक स्क्रीन रीडर है, लंबे समय से विंडोज़ ऑपरेटिंग सिस्टम में शामिल है। यह स्क्रीन पर होने वाली गतिविधियों, उपयोक्ता द्वारा संचालित गतिविधियों (मेनू को चुना जाना या कीबोर्ड पर कोई कुंजी दबाया जाना) और दस्तावेजों में मौजूद सामग्री को पढ़कर सुनाने का काम करता है। यह दृष्टि बाधित लोगों के लिए बहुत अधिक उपयोगी है। नैरेटर में नया बदलाव यह है कि इसमें हिंदी के लिए समर्थन उपलब्ध हो गया है। अब दृष्टि बाधित व्यक्ति ही नहीं, बल्कि कोई भी उपयोक्ता हिंदी भाषा में बने अपने माइक्रोसॉफ्ट वर्ड दस्तावेजों, वेब पेजों आदि को पढ़कर सुनाए जाने के लिए इस सुविधा का इस्तेमाल कर सकता है।
मशीन अनुवाद
माइक्रोसॉफ्ट के ट्रांसलेटर एप्प के साथ-साथ बिंग सर्च इंजन में भारतीय भाषाओं तथा अनेक वैश्विक भाषाओं के बीच परस्पर अनुवाद की सुविधा उपलब्ध है। पहले यह सुविधा हिंदी तक सीमित थी लेकिन अब बंगला और तमिल भाषाओं में भी मशीन अनुवाद का लाभ उठाया जा सकता है। आप चाहें तो हिंदी तथा भारतीय भाषाओं के बीच पारस्परिक अनुवाद कर सकते हैं और चाहें तो भारतीय भाषाओं तथा विदेशी भाषाओं के बीच। माइक्रोसॉफ्ट ने डेवलपर समुदाय के लिए अपनी अनुवाद सुविधाओं की एपीआई भी उपलब्ध कराई है, अर्थात वे चाहें तो इस सुविधा को अपने एप्स में शामिल कर सकते हैं।
नए टाइपिंग कीबोर्ड
माइक्रोसॉफ़्ट भारतीय भाषाओं में टेक्स्ट इनपुट की प्रक्रिया को लगातार बेहतर बनाने में जुटा है। विंडोज़ ऑपरेटिंग सिस्टम में तो इन भाषाओं के लिए कीबोर्ड उपलब्ध हैं ही, उसने भाषाइंडिया.कॉम पर अलग से कुछ इनपुट मैथड एडीटर (आईएमई) उपलब्ध कराए हैं जो ट्रांसलिटरेशन तथा अन्य पद्धतियों से पीसी पर टाइप करने सुविधा देते हैं। भाषाइंडिया.कॉम भारतीय भाषा समुदाय के लिए चलाई जाने वाली वेबसाइट है। हाल ही में माइक्रोसॉफ़्ट ने तमिल 99 कीबोर्ड मानक पर भी काम किया है और फिलहाल यह विंडोज़ इनसाइडर कार्यक्रम के तहत इस्तेमाल के लिए उपलब्ध है।
मिश्रित भाषा ध्वनि पहचान
माइक्रोसॉफ्ट रिसर्च परियोजनाओं के अंतर्गत मिश्रित भारतीय भाषाओं को पहचानने में सफलता मिल चुकी है। आज हमारी भाषा में अंग्रेजी तथा अन्य भाषाओं के शब्द सहजता से घुल-मिल गए हैं। यह भाषा रूढ़ मशीन अनुवाद की कसौटी पर खरी नहीं उतरती। लेकिन माइक्रोसॉफ्ट रिसर्च ने मिश्रित भाषा को समझने की क्षमता विकसित कर ली है जो हमारी मशीन अनुवाद तकनीकों को और अधिक सक्षम बनाएगी। तब ‘मेरा पार्टनर मूवी लाइक नहीं करता’ जैसे वाक्यों का भी सरलता से अनुवाद हो सकेगा। माइक्रोसॉफ़्ट रिसर्च ने इस अपने शोध की प्रक्रिया में बॉलीवुड फिल्मों की भी मदद ली है और उनके 15 हजार से ज्यादा संवादों का विश्लेषण किया है।