A group of young women look up from their computer screens.

नौकरशाहों से लेकर कॉलेज के छात्रों तक, काम एवं दैनिक गतिविधियों के लिए भारतीयों को मिल रहा एआई (AI) में प्रशिक्षण

– चेन मे यी

विभिन्न कार्यस्थलों पर जैसे-जैसे एआई टूल्स की पहुंच बढ़ रही है, हर जगह काम करने वालों के लिए नए अवसर भी सृजित हो रहे हैं। लेकिन, ये अवसर तभी काम के हैं, जब लोगों को यह पता हो कि इनका लाभ कैसे उठाया जा सकता है।

अगले पांच साल में माइक्रोसॉफ्ट अपनी एडवांटेज (ADVANTA(I)GE) INDIA पहल के तहत एक करोड़ भारतीयों को एआई से जुड़े कौशल में प्रशिक्षित करने के लिए मंत्रालयों, राज्य सरकारों एवं एनजीओ के साथ साझेदारी करेगी। इससे उत्पादकता बढ़ेगी और रोजगार के नए दरवाजे खुलेंगे।

यह पहल इसी नाम से पहले शुरू किए गए एक प्रोग्राम की सफलता को देखते हुए आगे बढ़ाई गई है। उस प्रोग्राम के तहत नौकरशाहों से लेकर कॉलेज जाने वाले छात्रों और दिव्यांगों तक 24 लाख भारतीयों का कौशल विकास किया गया था।

माइक्रोसॉफ्ट इंडिया एंड साउथ एशिया के प्रेसिडेंट पुनीत चंडोक ने कहा, “हमारा लक्ष्य केवल रोजगार के लिए योग्यता बढ़ाना नहीं, बल्कि डिजिटल जानकारी के मामले में अंतर को दूर करना और सभी भारतीयों के लिए ज्यादा समावेशी भविष्य का निर्माण करना है।”

इस प्रोग्राम से जुड़े लोगों का कहना है कि सभी तरह के कार्यों में एआई टूल्स का प्रयोग बढ़ रहा है और जो इनका प्रयोग करना नहीं सीखेंगे, उन पर पीछे रह जाने खतरा मंडराता रहेगा।

नेहा जैन एक भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारी हैं, जो अभी उत्तर प्रदेश सरकार में आईटी एवं इलेक्ट्रॉनिक्स की विशेष सचिव हैं, जहां सरकारी अधिकारियों को एआई का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। वह कहती हैं, “एक समय था, जब इंसानों कोआग के बारे में पता चला और शुरुआत में वे इससे डरा करते थे। बाद में हमने आग को नियंत्रित करना और अपने अच्छे के लिए इसका प्रयोग करना सीख लिया। इसी तरह से एआई का भी समझदारी के साथ मानवता के हित में प्रयोग करना चाहिए, न कि इसका शिकार बन जाने का इंजतार करना चाहिए।”

हमने देश में तीन लाभार्थियों से इसके बारे में बात की:

राघवेंद्र प्रताप सिंह, 33 वर्ष

हरदोई, उत्तर प्रदेश

A man wearing a dark grey jacket stands between office cubicles.

उत्तर प्रदेश के एक नौकरशाह राघवेंद्र प्रताप सिंह नीतियों के क्रियान्वयन से संबंधित आधिकारिक पत्रों की ड्राफ्टिंग के लिए एआई की मदद लेते हैं। छाया: माइक्रोसॉफ्ट के लिए जॉन ब्रेशर

राघवेंद्र प्रताप सिंह उत्तर प्रदेश सरकार में समीक्षा अधिकारी (रीव्यू ऑफिसर) के रूप में कार्यरत हैं। यहां वह नई नीतियों की समीक्षा एवं उनका विश्लेषण करते हैं और फिर उन्हें लागू करने के लिए जिम्मेदार स्थानीय अधिकारियों तक पहुंचाने में सहायता करते हैं।

उन्हें बहुत सारे पत्र लिखने होते हैं… रोजाना करीब सात से आठ पत्र। पिछले कुछ महीनों से एआई टूल्स की मदद से उनका काम आसान हो गया है।

पहले राघवेंद्र करीब 25 पन्नों की नीतियों को पढ़ते थे और एक हाइलाइटर पेन की मदद से महत्वपूर्ण बिंदुओं को रेखांकित करते थे। फिर वह विभिन्न अधिकारियों को पत्र टाइप करते थे, जिनमें प्रासंगिकता के हिसाब से अलग-अलग विवरण होते थे। उसके बाद वह प्रत्येक को प्रिंट करते थे और उन्हें एक फाइल में रखते थे, जिसे अनुमोदन के लिए उच्च अधिकारियों के पास भेज दिया जाता था।

कुछ महीने पहले राघवेंद्र ने राज्य की आईटी एजेंसी के साथ मिलकर माइक्रोसॉफ्ट द्वारा आयोजित एक दिवसीय डिजिटल स्किल्स कोर्स में हिस्सा लिया था। यहां उन्होंने माइक्रोसॉफ्ट कोपायलट और कोपायलट फॉर वर्ड, पावरपॉइंट एंड एक्सेल के साथ-साथ ओपनएआई के चैटजीपीटी जैसे टूल्स के बारे में जानकारी प्राप्त की।

उसके बाद से उन्होंने डॉक्यूमेंट्स को समराइज करने और पत्रों की ड्राफ्टिंग के लिए एआई टूल्स का प्रयोग करना शुरू कर दिया है। वह बताते हैं, पहले जिस पत्र को लिखने में एक घंटे तक का समय लग जाता है, अब उसमें 40 से 45 मिनट का समय लगता है।

वह कहते हैं, “एआई ने पत्रों को बेहतर बना दिया है। पहले कभी किसी छोटे पॉइंट में चूक की आशंका रहती थी, लेकिन एआई से सही पॉइंटर्स मिल जाते हैं।”

वह अदालती आदेशों का अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद करने में भी एआई की मदद लेते हैं, जिससे उन्हें इन आदेशों को समझने और अन्य अधिकारियों को उस बारे में बताने में आसानी होती है।

माइक्रोसॉफ्ट और उत्तर प्रदेश डेवलपमेंट सिस्टम्स कॉरपोरेशन (यूपीडेस्को) द्वारा कराए गए डिजिटल स्किल्स कोर्स में एक दिन के प्रशिक्षण में एआई, डिजिटल प्रोडक्टिविटी और साइबर सिक्योरिटी को शामिल किया जाता है। यूपीडेस्को आईटी के लिए जिम्मेदार एजेंसी है, जिसका संचालन सामाजिक उद्यम एआईसेक्ट द्वारा किया जाता है।

ट्रेनर अतीत दीक्षित ने कहा, “हमने इस बात का पूरा ध्यान रखा है कि किस तरह से यह कोर्स सरकारी अधिकारियों के लिए कारगर हो सकता है। इसमें एआई से वीडियो बनाने के बारे में बताने के बजाय ज्यादा समय यह सिखाने में लगाया गया कि कैसे एआई से पत्र एवं अन्य दस्तावेज की ड्राफ्टिंग हो सकती है, क्योंकि सरकारी अधिकारियों को एआई से वीडियो बनाने की जरूरत शायद ही पड़ेगी।”

दीक्षित कहते हैं, “कुछ लोग तो यह भी नहीं जानते हैं कि एआई है क्या। हमने सबसे पहले उन्हें इसके बारे में बताया। इससे काम के नतीजे देखने के बाद सभी ने इसे पसंद किया। यह उनके लिए काम की जानकारी है। इससे उनका बहुत समय बचता है।”

राघवेंद्र बताते हैं कि उन्हें एआई टूल्स इतने पसंद आए हैं कि उन्होंने अपने निजी कामों में भी इनका प्रयोग शुरू कर दिया है। उन्होंने कमांड दिया, “दोस्त को शादी की सालगिरह के लिए शुभकामना संदेश।’ और एआई टूल से उन्हें संदेश मिला, ‘आप दोनों को शादी की सालगिरह की बधाइयां! आपका जीवन प्रेम, हंसी और खुशी से भरा रहे।” जिसे उन्होंने अपने मित्र को भेज दिया।

जुई श्रीकांत बिदाए, 21 वर्ष

पुणे

A young woman with her hair tied back sits at a desk with a laptop.

एक टेक्नोलॉजी कंसल्टिंग कंपनी में इंटर्न के तौर पर कार्यरत पुणे यूनिवर्सिटी की छात्रा जुई श्रीकांत बिदाए काम के दौरान डीबगिंग और ट्रबलशूटिंग के लिए एआई टूल्स का प्रयोग करती हैं। छाया: माइक्रोसॉफ्ट के लिए जॉन ब्रेशर

बचपन में जुई श्रीकांत बिदाए कबड्डी की पेशेवर खिलाड़ी बनने का सपना देखा करती थीं। उनके पिता बैंक मैनेजर और माता गृहिणी हैं। दोनों उन्हें अक्सर टेक्नोलॉजी में करियर के विकल्प तलाशने का सुझाव दिया करते थे।

बिदाए वीडियो गेम की शौकीन थीं, इसलिए उन्हें अपनी ऊर्जा को इस दिशा में लगाने में बहुत ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ी। महाराष्ट्र के ग्रामीण इलाके देवगढ़ से शुरुआती पढ़ाई करने के बाद उन्होंने आईटी में बैचलर्स करने के लिए 200 मील दूर यूनिवर्सिटी ऑफ पुणे के एनबीएन सिंहगढ़ स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग में प्रवेश लिया।

घर से दूर रहकर सहज होने में उन्हें शुरुआत में कुछ समय लगा। उन्हें मां के हाथ के बने खाने की याद आती थी। वह कहती हैं, ‘वह वक्त मेरे लिए मुश्किल था, लेकिन मैं हर हाल में अपना सपना पूरा करना चाहती थी।’

यूनिवर्सिटी के ट्रेनिंग एवं प्लेसमेंट अधिकारी ने उन्हें माइक्रोसॉफ्ट और एसएपी की पहल टेकसक्षम में हिस्सा लेने का सुझाव दिया। इसमें छात्रों को माइक्रोसॉफ्ट कोपायलट और ओपनएआई के चैटजीपीटी जैसे एआई टूल्स का प्रयोग करना और पाइथन एवं जावा जैसी प्रोग्रामिंग लैंग्वेज के बारे में सिखाया जाता है। वह मानती हैं कि उस दौरान मॉक इंटरव्यू ट्रेनिंग समेत मिला अनुभव उनके लिए बेंगलुरु में जेनपैक्ट में इंटर्नशिप करने का मौका पाने में मददगार हुआ। जेनपैक्ट एक डिजिटल टेक्नोलॉजी कंसल्टिंग कंपनी है, जो वैश्विक स्तर पर काम करती है।

वह बताती हैं, ‘इंटरव्यू के दौरान मेरी टेक्निकल जानकारी ने उन्हें प्रभावित किया।’

वह यहां सिक्योर्ड फाइल स्टोरेज एप्लिकेशन बनाने पर छह महीने की इंटर्नशिप कर रही हैं और इसमें मदद के लिए एआई टूल्स का प्रयोग करती हैं। वह बताती हैं, “मैं डीबगिंग और ट्रबलशूटिंग के लिए इसका इस्तेमाल करती हूं। इससे मुझे बहुत जल्दी और सटीक जानकारी मिल जाती है।”

उन्होंने टेकसक्षम में सीखे गए कॉन्सेप्ट का इस्तेमाल किया, जैसे एप्लिकेशन प्रोग्राम इंटरफेस (एपीआई) कैसे बनाते हैं। इसके बाद यूजर जोड़ने के लिए एडमिन एप्रूवल लेने जैसे सिक्योरिटी फीचर्स डाले और अलग-अलग इंटरफेस बनाए, जिससे लोग यह न देख सकें कि अन्य यूजर्स क्या कर रहे हैं।

उन्हें उम्मीद है कि इंटर्नशिप के बाद जब वह जून, 2025 में कॉलेज की पढ़ाई पूरी कर लेंगी, तब उनकी यह इंटर्नशिप परमानेंट जॉब में बदल जाएगी। उनका एक छोटा भाई है, जिसके लिए वह अपनी कुछ जिम्मेदारी समझती हैं और चाहती हैं कि वह अच्छी शिक्षा प्राप्त करे। उनकी एक बहन भी है, जो उनसे तीन साल बड़ी है। वह अपनी बहन को रोल मॉडल मानती हैं, जो एक मल्टीनेशनल टेक्नोलॉजी कंपनी में कार्यरत हैं।

बिदाए कहती हैं, ‘मैं उनकी तरह एक आत्मनिर्भर महिला बनना चाहती हूं।’

वेंकटेश देशपांडे, 31 वर्ष

बेंगलुरु

A man wearing dark glasses stands with one hand resting on a table with computer equipment.

बेंगलुरु में विजन एम्पावर के लिए स्कूल को-ऑर्डिनेटर के तौर पर काम करने वाले वेंकटेश देशपांडे दृष्टिहीन व दृष्टिबाधित छात्रों के स्कूलों के अध्यापकों के लिए लेसन प्लान तैयार करने में एआई की मदद लेते हैं। छाया: माइक्रोसॉफ्ट के लिए जॉन ब्रेशर

जन्म से ही दृष्टिहीन वेंकटेश देशपांडे 100 और 500 रुपये के नोट को अलग-अलग पाउच में रखा करते थे, जिससे उन्हें यह पता रहे कि उनके पास कितनी राशि है।

अब इसकी जरूरत नहीं रह गई है। वह अपना फोन निकालकर उसके कैमरे को नोट की तरफ करते हैं और माइक्रोसॉफ्ट सीइंग एआई एप उन्हें बता देता है कि नोट कितने रुपये का है।

वह बताते हैं, ‘आज मैं एआई टूल्स की मदद से ज्यादा आत्मनिर्भर हुआ हूं। अब मुझे हर काम के लिए अपने दोस्तों या परिवार के लोगों पर निर्भर नहीं रहना पड़ता है।’

सीइंग एआई और बी माय एआई जैसे एआई टूल्स ने एक गैर लाभकारी संस्था विजन एम्पावर के साथ स्कूल को-ऑर्डिनेटर के रूप में काम करने में भी देशपांडे की मदद की है। यह संस्था दृष्टिहीन या दृष्टिबाधित लोगों में एसटीईएम शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए काम करती है। इसमें बताया जाता है कि रोजाना के कामकाज को आसान बनाने, सीखने व काम करने के लिए कैसे डिजिटल टूल्स का प्रयोग किया जा सकता है।

देशपांडे का जन्म उत्तर कर्नाटक के बगलकोटे शहर में हुआ था। वह बताते हैं, “मैं पूरी तरह से दृष्टिहीन हूं। मैं अपने चेहरे पर सूरज की गर्मी को तो महसूस कर सकता हूं, लेकिन उसकी रोशनी को देख नहीं सकता।”

जब स्कूल जाने की उम्र हुई, तो भाई-बहनों के साथ उनका पूरा परिवार राज्य की राजधानी बेंगलुरु आ गया। यहां वह दृष्टिहीनों के लिए बने श्री राकुम स्कूल में जाने लगे। शुरुआती पढ़ाई के बाद उन्होंने बेंगलुरु यूनिवर्सिटी से इतिहास, राजनीति विज्ञान एवं समाजशास्त्र में स्नातक की पढ़ाई पूरी की। कोरोना महामारी से पहले कुछ समय तक उन्होंने दृष्टिहीनों के लिए बने एक अन्य स्कूल में पढ़ाया भी था।

2020 में वह विजन एम्पावर से जुड़े। इसकी स्थापना एक युवा समाजसेवी विद्या वाई. ने की है, जिन्हें बेंगलुरु के प्रतिष्ठित इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी से मास्टर्स करने वाली पहली दृष्टिहीन छात्रा के रूप में जाना जाता है।

देशपांडे ने पहले विद्या वाई. से सीइंग एआई और बी माय एआई जैसे एआई टूल्स के बारे में सीखा, जो माइक्रोसॉफ्ट रिसर्च इंडिया की शोधार्थी भी थीं। अब वह देश के 14 राज्यों में दिव्यांग छात्रों के लिए काम कर रहे 140 से ज्यादा स्कूलों के अध्यापकों के लिए लेसन प्लान बनाने में मदद के लिए एआई का प्रयोग करते हैं।

उदाहरण के तौर पर, हाल ही में उन्होंने कंप्यूटिंग हार्डवेयर टर्म्स के बारे में जानने और मॉनीटर, कीबोर्ड आदि के बारे में डिजिटल साक्षरता से जुड़े पाठ्यक्रम के लिए एआई की मदद ली। इसके बाद अंग्रेजी से कन्नड़ में अनुवाद के लिए भी एआई का प्रयोग किया, जो कर्नाटक की स्थानीय भाषा है।

वह कहते हैं, ‘अध्यापक इसके प्रयोग से बहुत उत्साहित अनुभव करते हैं। हमने इसमें लोगों की खूब रुचि देखी है।’

पाइथन डाटा स्ट्रक्चर पर एक प्रैक्टिस सेशन के दौरान नोएडा, उत्तर प्रदेश स्थित नेशनल स्किल ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट फॉर वीमेन की छात्राएं। इन छात्राओं ने एडवांटेज (ADVANTA(I)GE) इंडिया कैंपेन के अंतर्गत एआई माइक्रो डिग्री प्रोग्राम में नामांकन कराया है। छाया: माइक्रोसॉफ्ट के लिए जॉन ब्रेशर